इतिहास और मील के पत्थर
2000-2009
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एनसीएल ने 3 जनवरी, 2000 को अपनी स्थापना की स्वर्ण जयन्ती मनायी । इस अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, भारत सरकार उपस्थित थे ।
- एनसीएल ने अपने परिसर में अनेक भौतिक असंरचनाओं का निर्माण किया । एनसीएल के अंकीय सूचना संसाधन केन्द्र हेतु वर्ष 2003 में एक नए भवन का निर्माण किया गया । यह भवन एनसीएल के सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र के रूप में भी कार्य करता है । एनसीएल की कार्यप्रणाली को पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी आधारित बनाने हेतु भारी मात्रा में निवेश किया गया है ।एनसीएल में कई सेवान्मु्ख गतिविधियों को संसाधन केन्द्र के रूप में निर्दिष्ट किया गया है । अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंटेशन प्रयोगशाला का नाम बदलकर पदार्थ अभिलक्षणन केन्द्र रखा गया है ।
- एनसीएल ने अपशिष्ट कृषि जैवभार के उपयोग के क्षेत्र में निजी कम्पनियों के साथ सार्वजनिक निजी-भागीदारी आरम्भ की । इसके अन्तर्गत जीवाश्म ईंधन की कमी को दूर करने हेतु अपशिष्ट- कृषि जैवभार को ईंधन, रसायनों, एवं पदार्थों हेतु संसाधन के रूप में प्रयोग में लाया गया । एनसीएल ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों (ईंधन सेल) के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में भी सार्वजनिक-निजी भागीदारी शुरू की।
- एनसीएल ने सूक्ष्म पदार्थों, समवेत (इन्टीग्रेटिंग)जीवविज्ञान, रसायनविज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी सहित प्रगत पदार्थों पर एक सुदृढ़ वैज्ञानिक ग्रूप का निर्माण आरम्भ किया । प्रयोगशाला के सभी प्रभागों में आन्तर्विधा अनुसंधान जारी रखने हेतु वैज्ञानिक अभिकलन एवं सूक्ष्मरिएक्टर अभियांत्रिकी (साइन्टिंफिक कम्प्यूटिंग ऐण्ड माइक्रोरिएक्टर इंजीनियरिंग) नामक दो उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठि अनुसंधान केन्द्रों की स्थानपना की गई । रसायनविज्ञान एवं जीवविज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु संयुक्त अनुसंधान की पहल के रूप में एनसीएल तथा जीनोमिकी एवं समवेत जीवविज्ञान संस्थान, दिल्ली के बीच भागीदारी शुरू की गई । रसायनविज्ञान एवं जीवविज्ञान में पीएच.डी. हेतु अनुसंधान के लिए एनसीएल एक प्रमुख केन्द्र बना ।
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बहुलक विज्ञान विशेष रूप से झिल्लियों एवं सरंध्र बहुलकों के क्षेत्र में एनसीएल की विशेषता से सूक्ष्म निस्यंदन प्रणाली विकसित की गई जिससे वाइरस तथा जीवाणु रहित पेय जल प्राप्त होता है । इसके अलावा इससे ईंधन सेलों हेतु नई उच्च ताप झिल्लियॉं, एन्ज़ाइम के स्थिरीकरण हेतु बहुलक तथा नेत्रीय रोपण हेतु अधिशोषक पदार्थ एवं जैवचिकित्सीय बहुलक भी तैयार किए गए ।
- एनसीएल ने सफलतापूर्वक कई प्रौद्योगिकियॉं उद्योग जगत को हस्तान्तरित की । इनमें टीएचपीई, एटीबीएस, एपिक्लोरोहाइड्रीन के उत्पादन हेतु स्वामित्व वाली (प्रोप्राइटरी) प्रक्रियाऍं, जैवभार से सेलुलोस की पुन: प्राप्ति तथा किराल सक्रिय औषधीय मध्यक शामिल हैं ।
- प्रवर्तन एवं प्रौद्योगिकी के विकास को ध्यान में रखते हुए एनसीएल तथा व्यापारिक उपक्रमों/उद्योगों के बीच सहयोगी और उत्पादक सम्ब्न्धों को बढ़ावा देने हेतु एनसीएल प्रवर्तन केन्द्र नामक एक नए संसाधन केन्द्र की स्थापना की गई है ।
- प्रौद्योगिकी व्यवसाय केन्द्र की व्यवस्था हेतु एनसीएल ने कम्पनी अधिनियम की धारा 25 के अधीन उद्यमिता विकास केन्द्र नामक एक कम्पनी शुरू की । एनसीएल प्रवर्तन केन्द्र एवं उद्यमिता विकास केन्द्र हेतु अलग से 25 एकड़ जमीन विकसित की गई है । इसमें कार्यालय, व्याख्यान कक्ष, पुस्तकालय, अल्पांहारगृह तथा मॉड्यूलर प्रयोगशालाऍं शामिल हैं ।
- सीएसआईआर ने एनसीएल परिसर में स्थित 98 एकड़ हरित भूमि भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे को उसके स्थायी परिसर के निर्माण हेतु प्रदान की । उक्त( संस्था)न अगस्त 2006 से एनसीएल परिसर में कार्यरत हुआ । एनसीएल एवं भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) दोनों के पास-पास स्थित होने से शिक्षा तथा अनुसंधान के बीच सुदृढ़ सहयोगी सम्बन्ध स्थापित होंगे ।
- डॉ. एस. शिवराम, प्रमुख, बहुलक रसायन विज्ञान प्रभाग ने एनसीएल के आठवें निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया (वर्ष 2002-2010)