यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निपटान



सिंहावलोकन

केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों 1964 एवं वर्गीकरण ,नियंत्रण एवं अपील नियमों 1965 एवं इनके विभिन्ने संशोधनों ( दिनांक 2 फरवरी , 2015 का संशोधन भी सम्मिलित ), जो कि डीओपीटी की वेबसाइट (http://persmin.gov.in/dopt.asp) पर उपलब्ध हैं, के अनुसार सीएसआईआर-एनसीएल में महिला प्रकोष्ठ (वूमेन सैल)क्रियाशील है।

कानून

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, महिलाओं को कार्यस्थलल पर यौन-उत्पीड़न से संरक्षण देने, रोकथाम व इससे संबंधित मामलों की शिकायत निवारण के लिए बना है। यौन उत्पीड़न किसी महिला की समानता के,जीवन की रक्षा तथा सम्मान से जीने के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है, जिसमें यौन उत्पीेड़न से मुक्त एक सुरक्षित वातावरण के अधिकार का भी समावेश है।

यौन उत्पीड़न की परिभाषा में सभी प्रकार की आपत्त्‍िाजनक/अप्रिय, प्रतिकूल, भयभीत करने वाली, अपमानजनक एवं शोषक भाषा , भाव तथा आचरण का समावेश है।

 

क्या किया जाना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए

  1. शर्म महसूस नहीं करना चाहिए। उत्पीयड़न करने वाले व्‍यक्त्‍िा को स्पयष्ट बता दें कि आपने उसके इस व्यवहार को आपत्तिजनक/अप्रिय महसूस किया है।
  2. स्वत: समाप्त हो जाने की आशा से ऐसे उत्‍पीड़न की उपेक्षा न करें, आगे आए और शिकायत करें।
  3. आप जिस व्याक्ति पर विश्वास करते हो, उस व्यक्ति से उत्पीड़न की घटना के बारे में बताए। इससे न केवल आपको शक्ति मिलेगी, बल्कि दूसरों को भी आगे आकर शिकायत करने के लिए सहायता मिलेगी।
  4. यौन उत्पीड़न से संबंधित सभी घटनाओं का विस्तृत लिखित ब्यौरा रखें। यदि आप इस घटना की शिकायत को बाद में दर्ज करना चाहते हैं तो यह ब्यौरा आपके लिए सहायक होगा।
  5. सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात है कि पीडि़ता को इस उत्पीड़न के लिए स्वयं को कभी भी दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

कार्यवाही

  • अपराधी को स्पष्ट शब्दों में उत्पीाड़न रोकने के लिए कहे।
  • अपराधी को मौखिक रूप से यह बता दें कि यदि वह उत्पीपड़न नहीं रोकता तो पीडि़ता द्वारा ईमेल या टेलिफोन के‍ जरिए महिला प्रकोष्ठ (वूमेन सैल) के किसी भी सदस्य के पास शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • शिकायतकर्ता का नाम और उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी।
  • अपराधी के यौन उत्पीड़न संबंधी कृत्य में लिप्त होने की पुष्टि होने पर उसके विरूद्ध उचित दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी, भले ही वह संस्थानन में किसी भी पद पर हो – चाहे स्टाकफ हो, संकाय सदस्य हो या विद्यार्थी हो।
  • केवल पीडि़ता या उसके उत्तराधिकारी ही शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • पीडि़ता  महिला प्रकोष्ठ (वूमेन सैल) के सदस्यों से  संपर्क कर सकती है।

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