पूर्ववर्ती निदेशक
डॉ. श्रीवरी चंद्रशेखर (27 नवंबर, 2020 से 31 मार्च, 2021)
डॉ. श्रीवरी चंद्रशेखर ने बी.एससी. और एम.एससी. की डिग्री क्रमशः 1982 और 1985 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से और 1991 में सीएसआईआर-आईआईसीटी, हैदराबाद से डॉ. ए. वी. रामाराव के मार्गदर्शन में रसायन विज्ञान में पीएच .डी. पूर्ण की ।
डॉ. चंद्रशेखर 1994 में सीएसआईआर-आईआईसीटी में वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए और 2015 में निदेशक के पद पर आसीन हुए। डॉ. चंद्रशेखर ने जैविक रसायन विज्ञान के विविध क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, विशेषकर काइरल रसायन विज्ञान, जैविक रूप से सक्रिय प्राकृतिक उत्पादों और दवा उत्पादों के कुल संश्लेषण में ।
सीएसआईआर- आईआईसीटी , हैदराबाद के निदेशक डॉ. श्रीवरी चंद्रशेखर ने 27 नवंबर, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक सीएसआईआर-एनसीएल का अतिरिक्त प्रभार संभाला।
प्रो. अश्विनी कुमार नांगिया (2016-2020)
प्रो. अश्विनी कुमार नांगिया ने 1983 में आईआईटी कानपुर से रसायन विज्ञान में एम.एससी. पूर्ण की । वर्ष 1988 में येल विश्वविद्यालय से पीएच.डी. डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने एनओसीआईएल एग्रोकेमिकल्स आरएंडडी सेंटर, नवी मुंबई में एक वर्ष कार्य किया और इसके बाद 1989 में स्कूल ऑफ केमिस्ट्री, हैदराबाद विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद पर नियुक्त हुए और वर्ष 2001 में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर के पद को प्राप्त किया। उन्होंने वर्ष 2016 में सीएसआईआर-एनसीएल के ग्यारहवें निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला।
प्रो. नांगिया ने प्राकृतिक उत्पादों और एंजाइम अवरोधकों के संश्लेषण पर काम करने वाले अपने अनुसंधान समूह की स्थापना की; और 1995 तक इस क्षेत्र में अनुसंधान जारी रखा। उन्होंने 1990 दशक के उत्तरार्ध में सुप्रा मालिक्युलर रसायन विज्ञान, विशेष रूप से क्रिस्टल इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने होस्ट गेस्ट इंक्लूजन कंपाउंड्स, हाइड्रोजन बॉन्डिंग, इंटर-हैलोजन इंटरैक्शन, पॉलीमॉर्फिज़्म और कोक्रिस्टल्स के उभरते विषयों में सक्रिय शोध कार्यक्रम स्थापित किया; और अगले दशक तक अपना मौलिक योगदान दिया।
वर्तमान में प्रो. नांगिया हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद में रसायन विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं।
डॉ. विजयमोहनन के. पिल्लै (2015-2016)
डॉ. विजयमोहनन के. पिल्लै ने केरल विश्वविद्यालय से बी.एससी. और एम.एससी. की उपाधि क्रमश: वर्ष 1980 और 1982 में पूर्ण की और वर्ष 1991 में उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर से विदयुत रसायनशास्त्र /पदार्थ विज्ञान में पीएच. डी. प्राप्त की । उन्हें अध्यापन का सुदीर्घ अनुभव है और वे विदयुत रसायनशास्त्र , पदार्थ-रसायनशास्त्र और ऊर्जा भंडारण, जिसमें सेंसर्स,नैनोक्लस्टर्स, सेल्फि एसेंबल्ड मोनोलेयर्स,कार्बन नैनोट्यूब्स ,ग्राफीन,हाइब्रिड मटेरियल्स फ्यूल सैल्स , बैटरीज़ एवं अल्ट्राकैपेसिटर्स का समावेश है , पर केंद्रित शोधकार्यों से संबंद्ध हैं।
डॉ. विजयमोहनन के. पिल्लै, सीएसआईआर-सीईसीआरआई, कराईकुड़ी के निदेशक ने दिनांक 1 जून, 2015 से 28 फरवरी,2016 तक की अवधि में सीएसआईआर - राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे के निदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार संभाला।
डॉ. विजयमोहनन के. पिल्लै ने अपना कैरियर अप्रैल 1991 में सीएसआईआर-एनसीएल से शुरू किया और निरंतर प्रगति करते हुए वे जून 2010 में उत्कृष्ट वैज्ञानिक के पद पर पहुँचे । अप्रैल 2012 में सीएसआईआर-सीईसीआरआई,कराईकुड़ी के निदेशक का पदभार ग्रहण करने के लिए उन्होंने सीएसआईआर-एनसीएल छोड़ा था।
डॉ. सौरव पाल (2010-2015)
डॉ. सौरव पाल ने वर्ष 1977 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से रसायनविज्ञान में एकीकृत स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की , तत्पश्चात उन्होंने वर्ष 1982 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की । उन्हों ने 9 दिसंबर , 1982 को एनसीएल में कार्यग्रहण किया तथा वर्ष 2010 में वे एनसीएल के नौंवे निदेशक बने ।
वे फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, गेन्सविले, संयुक्त राज्य अमरीका में पोस्टn डॉक्टतरल फेलो (1986-87) तथा हाइडेलबर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी में अलेक्जैण्डर वॉन हम्बोल्ट फेलो (1987) रहे हैं ।
डॉ. पाल ने एक प्रतिष्ठित सैद्धान्तिक रसायनज्ञ के रूप में सैद्धान्तिक विज्ञान के विभिन्नत क्षेत्रों, जिसमें प्रणाली संबंधी एवं संकल्पनात्मक विकास सम्मिलित है, में अपना योगदान दिया हैं। निदेशक का पद संभालने से पहले वे फिजिकल एवं मटेरियल रसायन प्रभाग तथा सेंटर फॉर मटेरियल कैरेक्टाराइजेशन के प्रमुख थे।
डॉ. एस. शिवराम (2002-2010)
डॉ. स्वामीनाथन शिवराम एक बहुलक रसायनज्ञ, परामर्शदाता एवं सुयोग्य विज्ञान प्रबन्धक हैं। उन्हें उद्योग एवं शिक्षा जगत में मौलिक अनुसंधान, प्रक्रिया/उत्पाद अनुसंधान एवं विकास तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चालीस वर्षों से अधिक का अनुभव है । बहुलक विज्ञान, प्रौद्योगिकी विकास संस्था के नेतृत्व तथा सरकारी वित्त्पोषित संस्थानों में नवोन्मेष प्रबन्धन के क्षेत्र में उनके योगदानों को व्यापक मान्यता प्राप्त हुई है ।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से वर्ष 1967 में एम.एससी. डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने वर्ष 1971 में रसायन विज्ञान में परडु विश्वविद्यालय , इण्डिआना, संयुक्त राज्य अमरीका से पीएच.डी. प्राप्त की।
डॉ. पॉल रत्नसामी (1995-2002)
डॉ. पॉल रत्नसमी का जन्म 11 जून, 1942 को हुआ था । उन्होंने लॉयोला कॉलेज, मद्रास से उच्च शिक्षा (बी.एससी.1961, एम.एससी. 1963 एवं पीएच.डी.1967) प्राप्ता की । इसके बाद उन्होंने डॉक्टरोत्तर फेलो के रूप में प्रो. डी. रोजेन्थाल (1967-69) के साथ क्लार्कसन कॉलेज ऑफ टेक्नोंलॉजी, पॉट्सडम, न्यूयॉर्क में कार्यग्रहण किया और तदुपरान्त वे अनुसंधान सहयोगी के रूप में प्रो. जे.जे. फ्रिपलैट (1969-72) के अधीन कार्य करने के लिए लीवेन कैथोलिक विश्वविद्यालय, बेल्जियम चले गए ।
वर्ष 1979 में एन.सी.एल. में कार्यग्रहण करने से पूर्व उन्होंने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में कुछ वर्षों तक कार्य किया । इसके बाद उन्होंने एक वर्ष के लिए वरिष्ठ हम्बोल्टर फेलो के रूप में प्रो. एच. नोजिंगर के साथ कार्य करने के लिए मंचेन विश्वविद्यालय में कार्यग्रहण किया । उन्होंने वर्ष 1980 में एन.सी.एल. में उत्प्रेरण प्रभाग की स्थापना की और सन 1996 में निदेशक बनने तक वे इस प्रभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे । वे जून, 2002 में सेवानिवृत्त हुए ।
डॉ. आर.ए. माशेलकर (1989-1995)
डॉ. रघुनाथ अनन्त माशेलकर का जन्म सन 1943 में हुआ था । सन 1969 में बम्बई विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने यूरोप और अमरीका में अनेक शैक्षणिक पदों पर कार्य किया। भारत वापस आने से पूर्व उन्होंने सल्फोपर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैण्ड में (1969-76) रासायनिक अभियांत्रिकी के व्याख्याता के रूप में तथा डेलावेयर विश्वविद्यालय में (1975) अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
डॉ. माशेलकर ने सन 1976 में एन.सी.एल. में वैज्ञानिक के पद पर कार्यग्रहण किया । वे अक्टोबर, 1978 में रासायनिक अभियांत्रिकी प्रभाग के अध्यक्ष बने और इसके बाद सन 1989 में उन्होंने एन.सी.एल. के छठे निदेशक के रूप में कार्यग्रहण किया ।
डॉ. एल. के. दौरेस्वामी (1978-1989)
डॉ. एल.के. दोरेस्वामी ने मद्रास विश्वविद्यालय से बी.एस. की डिग्री और विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की थी । उन्होंने सन 1954 में एन.सी.एल. में कार्यग्रहण किया था । सन 1989 में अपनी सेवानिवृत्ति तक वे एन.सी.एल. के पहले ऐसे निदेशक रहे जो रसायनज्ञ नहीं थे ।
प्रो. बी.डी. टिळक (1966-1978)
प्रो. बाल दत्तात्रेय टिळक का जन्म 26 सितम्बर, 1918 को हुआ था। उन्होंने सन 1933 में एस.पी. कॉलेज, पुणे से रसायनविज्ञान में स्नातक डिग्री तथा सन 1939 में रासायनिक प्रौद्योगिकी विभाग, बम्बई से टेक्सटाइल रसायनविज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की । इसके बाद सन् 1943 में उन्होंने टेक्सटाइल रसायनविज्ञान में ही पीएच.डी. डिग्री प्राप्त की । डॉ. टिळक ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से सन 1946 में कार्बनिक रसायन विज्ञान में डी. फिल. डिग्री तथा 1960 में डी.एस. डिग्री भी प्राप्त की । डॉ. टिळक ने सर रॉबर्ट रॉबिन्सन (नोबल पुरस्कार विजेता तथा रॉयल सोसायटी के प्रेसीडेंट) के अधीन (1944-46) तथा प्रा. आई.बी. वुडवर्ड (नोबल पुरस्कार विजेता, हार्वर्ड विश्वविद्यालय) के अधीन (1960-61) डॉक्टोरोत्तर अनुसंधान कार्य किया ।
प्रो. के. वेंकटरमण ( 1957-1966)
प्रो. के. वेंकटरमण एन.सी.एल. के प्रथम भारतीय निदेशक थे । उनका जन्म सन 1901 में हुआ था । उन्होंने नोबल पुरस्कार विजेता सर रॉबर्ट रॉबिन्सन के मार्गनिर्देशन में पीएच.डी. तथा डी.एस. की डिग्री मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, इंग्लैण्ड से प्राप्त की थी । उन्होंने सन 1929 में फोरमन क्रिस्चियन कॉलेज, लाहौर में कार्यग्रहण किया । सन 1938 में वे विश्वविद्यालय रासायायनिक अभियांत्रिकी विभाग, बम्बई के निदेशक बने । सन 1957 में एन.सी.एल. के निदेशक बनने से पूर्व वे योजना समिति तथा प्रयोगशाला की स्थापना हेतु स्थान-निर्धारित करने के लिए गठित विशेष समिति के सदस्य के रूप में एन.सी.एल. से जुड़े हुए थे । इसके बाद रासायनिक अनुसंधान समिति तथा एन.सी.एल. की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी उनका एन.सी.एल. से सम्बन्ध जारी रहा ।
प्रो. जी.आई. फिंच (1952-57)
जॉर्ज इंगल फिंच का जन्म ऑरेंज, न्यू साउथ वेल्स में 4 अगस्त, 1888 को हुआ था । उनकी शिक्षा ई.टी.एच. जुरिच और बाद में जेनेवा विश्वविद्यालय में हुई। अमोनिया के संश्लेषण हेतु उन्नत अमोनिया उत्प्रेरक की खोज के परिणामस्वरूप वे बैडिश ऐनिलिन एण्ड सोडाफैब्रिक से सम्बद्ध हो गए और उनकी एक सहायक कम्पनी में प्रबन्धक के रूप में उन्होंने कुछ समय तक कार्य किया । जुरिच में रहते समय विज्ञान के तकनीकी अनुप्रयोग में उनकी यह रुचि उनके बाद के जीवनकाल में विभिन्न वैज्ञानिक कार्यकलापों का आधार बनी । वे सन 1919 में इम्पीरियल कॉलेज में इलेक्ट्रो रसायनविज्ञान के व्याख्याता के पद पर और तदुपरान्त सन 1927 में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किए गए । प्रो. फिंच सन 1936 में प्रायोगिक भौतिक रसायन विज्ञान के अध्यक्ष बने और इस पद पर वे अपनी सेवानिवृत्ति के समय तक रहे । वे सन 1952 में सेवानिवृत्त होकर एन.सी.एल. के निदेशक बने।
प्रो. जे. डब्यु . मैकबेन (1950-1952)
डॉ. जे. डब्यु मैकबेन का जन्म 22 मार्च, 1882 को चैथम, न्यू ब्रन्साविक, कनाड़ा में हुआ था । प्रारंभ में उनकी शिक्षा रोडे द्वीप में हुई। डॉ. मैकबेन ने टोरोंटो विश्वविद्यालय से सन 1903 में स्नातक डिग्री- ए.बी. तथा सन 1904 में स्नातकोत्तर डिग्री- एम.ए. प्राप्त की । उन्हें सन 1906 में पीएच.डी. की डिग्री प्रदान की गई । इसके बाद वे ब्रिस्टल विश्वविद्यालय, इंग्लैण्ड में भौतिक रसायन विज्ञान के व्याख्याता नियुक्त हुए । डॉ. मैकबेन सन 1927 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलीफोर्निया में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर बने ।