एनसीएल : सिंहावलोकन के बारे में

राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सी.एस.आई.आर. – एन.सी.एल.), पुणे की स्थापना सन 1950 में हुई थी । यह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर.) की एक संघटक प्रयोगशाला है । सी.एस.आई.आर. – एन.सी.एल. एक विज्ञान एवं ज्ञानाधारित अनुसंधान, विकास और परामर्शी संस्‍था है । यह रसायनविज्ञान तथा रासायनिक अभियांत्रिकी में श्रेष्ठ एवं विशिष्टय वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु पूरे विश्व में प्रसिद्ध है । यह प्रयोगशाला उद्योग जगत के अपने भागीदारों के साथ संकल्पना के स्तर से व्यापारीकरण तक चलने वाले औद्योगिक अनुसंधान के अपने उत्कृष्ट रिकॉर्ड के लिए भी विश्व विख्यात है ।

 

भविष्य -निरूपण :

  • रसायन विज्ञान एवं रासायनिक अभियांत्रिकी के क्षेत्र में विश्वस्तरीय मान्यता एवं प्रतिष्ठा प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संगठन के रूप में उभरना ।
  • भारतीय रासायनिक एवं संबंद्ध उद्योगों को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धी संगठन बनाने में महत्त्वपूर्ण सहायता करने वाला संगठन बनाना ।
  • राष्ट्र के लिए संपत्ति अर्जन के अवसर प्रदान करने वाला और उसके द्वारा जनता के जीवनसत्र को ऊँचा उठाने वाला संगठन बनाना ।

 

लक्ष्य :

  • एन.सी.एल. के साझेदारों के लिए धनार्जन एवं अन्य, अनुलाभों की दृष्टि से उत्पाद, प्रक्रिया, बौद्धिक संपदा,अन्तर्निहित ज्ञान एवं सेवा प्रदान करने हेतु रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्य करना।
  • वैज्ञानिक कार्यकलापों तथा अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों के मध्य एक संतुलन स्थापित करना और उसे बनाए रखना ताकि एन.सी.एल. अपने वर्तमान और भावी साझेदारों की मॉंगों की पूर्ति कर सकने में समर्थ हो सके ।
  • सभी साझेदारों की सहायता हेतु एन.सी.एल. के अंदर विशेषज्ञता से परिपूर्ण ज्ञानमूलक क्षमताओं तथा संसाधन केन्द्रों का निर्माण करना और उन्हें बनाए रखना ।
  • रसायन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और अभियांत्रिकी विज्ञान के क्षेत्र में योग्यता रखने वाले उच्च गुणवत्ता सम्पन्न पीएच.डी. छात्रों के सृजन में योगदान देना ।

 

मार्गदर्शी सिद्धांन्त एवं नैतिक मूल्ये:

  • अपने साझेदारों की सफलता हेतु पूर्णरुपेण समर्पित होना ।
  • ऊँचे दर्जे की आंतरिक एवं बाहरी पारदर्शिता वाले स्वयंचलित तथा स्वव्यवस्थित ज्ञानात्मक संगठन का निर्माण करके उसे कायम रखना ।.
  • सामूहिक एवं सिद्धांन्त केन्द्रित नेतृत्व की संस्कृति को प्रोत्साहित करना ।
  • व्यक्तिगत गरिमा को महत्त्व देना तथा निष्पक्ष रूप से एवं बिना किसी पूर्वाग्रह अथवा पक्षपात के लोगों के साथ व्यवहार करना ।
  • सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण के उच्चतम मानकों का पालन करना ।