इतिहास और मील के पत्थर

1970-1979

  • एनसीएल ने वर्ष 1975 में अपनी स्थापना की रजत जयन्ती मनाई । प्रधानमंत्री श्रीमती इन्द्रिरा गॉधी ने 1 फरवरी, 1975 को रजत जयन्ती समारोह का उदघाटन किया ।
  • एनसीएल ने प्रक्रिया हस्तान्तारण के सन्दर्भ में उद्योग एवं शिक्षा जगत के बीच परस्पर सहयोग की संकल्पना को साकार करते हुए प्रक्रिया हस्तान्तरण समिति का गठन किया। यह समिति एनसीएल द्वारा विकसित सभी प्रक्रियाओं का उद्योगों को हस्तान्तरण सुनिश्चित करेगी। इस समिति के पास सम्बन्धित प्रक्रियाओं की सूचना एवं प्रक्रियाओं के कार्यप्रदर्शन की जानकारी उपलब्ध होगी।
  • एनसीएल ने भारतीय रसायन उद्योग हेतु स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए प्रमुखता के साथ उस पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित किया । सत्तर के दशक के आरम्भ में भारत की अस्थिर आर्थिक स्थिति को देखते हुए आयात के विकल्प की खोज एवं विदेशी मुद्रा का संरक्षण – ये दो ही मुख्य बातें उस समय एनसीएल के समक्ष थीं।
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developement process
  • रासायनिक अभियांत्रिकी एवं प्रक्रिया विकास प्रभाग के संयुक्त गठन से रसायन विज्ञान तथा अभियांत्रिकी का अन्तरापृष्ठ (परस्पर सम्मिलन) सुदृढ़ हुआ ।
  • एनसीएल ने भारत में कम लागत के प्रजातिगत एपीआई उद्योग को जन्म‍ दिया । भारतीय एकस्व अधिनियम 1970 के शुरू होने से भारत ने उत्पाद एकस्व की मान्यता वापस ली ताकि भारतीय कम्पनियॉं अन्यत्र खोजे गए अणुओं को नए प्रक्रिया रसायनविज्ञान के प्रयोग द्वारा उत्पादित कर सकें । भारतीय ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए किफायती औषधियों के उत्पादन हेतु प्रभावी रसायनों के विकास के लिए एनसीएल ने अनुसंधान कार्यक्रम बनाया । एनसीएल/आईआईसीटी में यह अनुसंधान कार्य तीन दशकों (1970-2000) तक चला । तत्पश्चात भारत विश्व व्यापार संगठन (ट्रिप्सक) तथा भारतीय एकस्व अधिनियम, 2005 का सदस्य बना । इससे उत्पाद एकस्व को पुन: मान्यता मिलने लगी।
 
  • cipla  एनसीएल ने भारत में प्रजातिगत औषधियों के नए उद्योग को जन्म दिया। सिप्लाश लिमिटेड ने इस दिशा में पहल करते हुए सत्तर के दशक के आरम्भ में एनसीएल के साथ सहयोग स्थापित किया । इस प्रकार की कई औषधियॉं बाजार में लायी गईं । नब्बे के दशक में सिप्ला लिमिटेड सबसे बड़ी दवा कम्पनी के रूप में उभरकर सामने आयी और उसने भारतीय बाजार में न्यूनतम दरों पर औषधियॉं उपलब्ध करायीं । अफ्रीका में एचआईवी/एड्स की औषधियॉं विश्वस्तरीय लागत के एक अंश के मूल्य पर उपलब्ध कराने हेतु भी सिप्ला ने प्रवर्तक कम्पनियों की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया ।
 
  • cipla-iictडॉ. वाई. के हमीद, अध्यक्ष, सिप्ला लिमिटेड ने दिनांक : 2 अप्रैल, 2005 को भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद में भाषण देते हुए कहा था कि, एनसीएल एवं औषधि उद्योग के बीच यह एक बहुत ही उपयुक्त एवं उत्पादक भागीदारी है । भारतीय एकस्व अधिनियम 1970 के बाद के काल में किए गए हमारे सामूहिक प्रयासों से ही इसकी आधारशिला रखी गई जिस पर वर्तमान एपीआई निर्माण उद्योग की स्थापना की गई ।
 
  • ncl technology60 से अधिक उद्योग एनसीएल द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी/तकनीकी का प्रयोग करते हैं । एनसीएल की प्रौद्योगिकी के लाइसेंसधारकों की संख्याक 90 के आसपास है । इस दशक में रु.6.5 करोड़ की अनुमानित लागत की लगभग 46 प्रक्रियाऍं विभिन्न उद्योगों में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग में लायी गई ।
 
  • एनसीएल ने उद्योगों को सूक्ष्मय रसायनों हेतु उनकी आवश्याकता के अनुरूप प्रौद्योगिकी प्रदान की । इसमें प्रक्रिया रसायनविज्ञान, प्रायोगिक संयंत्र परीक्षण, प्रक्रिया, उपकरण एवं संयंत्र डिज़ाइन शामिल हैं । इस दशक में उद्योग जगत को सफलतापूर्वक हस्तान्तरित की गई दो प्रक्रियाऍं हैं - ऐसेटानिलाइड (2,000 टन प्रति वर्ष) एवं ऐक्रिलिक ईस्टर्स (10,000 टन प्रति वर्ष) । उक्त, दोनों प्रक्रियाऍं क्रमश: हिन्दु्स्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड, रसायनी तथा इण्डियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेउ (आईपीसीएल), बड़ौदा को हस्तान्तरित की गई ।
  • डॉ. एल. के दोरैस्वालमी, प्रमुख, रासायनिक अभियांत्रिकी एवं प्रक्रिया विकास प्रभाग, एनसीएल ने प्रयोगशाला के पॉंचवे निदेशक के पद का कार्यभार सम्भाला (1978-89)
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