बौद्धिक सम्प्दा अधिकार

एन.सी.एल. अनेक अन्तर्राष्ट्रीय और भारतीय कम्पनियों हेतु संविदा अनुसंधान करती रही है । इनमें से अनेक कम्पेनियों के साथ एन.सी.एल. का सम्ब्न्ध एक दशक से भी अधिक का रहा है । कम्पंनियों के साथ संविदा सम्बन्धी करार निष्पेन्न करते समय एन.सी.एल. ने कम्प्नियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखा है । अत: इस प्रकार इस क्षेत्र में एन.सी.एल. को पर्याप्त अनुभव है । एन.सी.एल. ने व्यावहारिक दृष्टिकोण पर आधारित एवं लचीले तत्त्वों से युक्त् विविध प्रकार के संविदात्मक करारों को निष्पन्न् किया है । एन.सी.एल. यह समझती है कि परस्पर सफल सम्बन्धों को बनाने हेतु करार दोनों भागीदारों के हित में होना चाहिए। हमारा यह अनुभव है कि जो करार केवल एक ही पक्ष के हित में होते हैं वे दोनों पक्षों के मध्य बनने वाले अच्छे और सुदृढ़ सम्बन्ध में सहायक नहीं होते हैं ।

संविदा अनुसंधान से प्राप्त होने वाले बौद्धिक सम्पिदा अधिकार के स्वामित्व और हिस्सेदारी के बारे में एन.सी.एल. ने पृथक्-पृथक् प्रतिमान बनाए हैं । प्रत्येक प्रतिमान हमारे ग्राहकों की आवश्याकताओं के अनुरूप तैयार किया गया है । एन.सी.एल. के व्य्वहार में अत्यधिक लचीलापन है और वह अपने ग्राहकों के साथ सभी विकल्पों को खुला रखती है । ये प्रतिमान निम्नलिखित है :-

  1. सभी बौद्धिक सम्‍पदा पर सी.एस.आई.आर./एन.सी.एल. का स्वामित्व होता है । इसका लाइसेंस अनन्यता की परस्पर सहमत समयावधि के लिए ग्राहकों को दिया जाता है । यदि ग्राहक समग्र रूप से बौद्धिक सम्पदा का स्वामित्व चाहता है तो सी.एस.आई.आर./एन.सी.एल. उपयुक्त क्षतिपूर्ति के भुगतान पर ग्राहक को बौद्धिक सम्पदा दे देगी ।
  2. सी.एस.आई.आर./एन.सी.एल. और ग्राहक का बौद्धिक सम्पदा पर स्वामित्व होता है और वे दोनों परस्पर सहमति एवं परामर्श से इसकी व्यवस्था करते हैं ।
  3. सी.एस.आई.आर./एन.सी.एल. का भारत में बौद्धिक सम्पदा पर स्वाामित्व होता है जब कि ग्राहक का अधिकार विश्व के दूसरे भाग की बौद्धिक सम्पदा पर होता है ।
  4. ग्राहक का समस्त् विश्व में सारी बौद्धिक सम्पदा पर स्वामित्व होता है ।

 

बौद्धिक सम्पदा अधिकार के स्वामित्व के प्रकार का निर्धारण परियोजना की लागत सम्बिन्धी मोल-तोल तथा उसके शुल्क के आधार पर किया जाता है । एन.सी.एल. जैसी सरकारी धन से संचालित प्रयोगशाला अपने संविदा अनुसंधान द्वारा भविष्यल में संस्था और समाज दोनों के लिए धनार्जन कर सकने में सक्षम होगी । हस्तगत परियोजना से रॉयल्टी प्राप्त् हो सकती है, बौद्धिक सम्पदा के लिए लाइसेंस शुल्क प्राप्त हो सकता है और भविष्य में इस परियोजना से उत्पन्न होने वाले प्रत्येक पेटेंट के लिए प्रयोगशाला को प्रोत्सा‍हन बोनस भी प्राप्त हो सकता है ।