सीएसआईआर के बारे में




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सीएसआईआर विश्व में सार्वजनिक वित्त पोषित सबसे बड़ी अनुसंधान एवं विकास संस्था है तथा इसने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है । सीएसआईआर ने मानव जीवन के सभी पहलुओं-सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक – को अपने कार्यक्षेत्र में समालिया है । इसके अन्तर्गत बेबी फूड (अमूल) से लेकर गैर-स्टेरॉयड गर्भनिरोधक (सहेली) तक, जीवन-रक्षक औषधियों के निर्माण से लेकर कम लागत वाले भवन-निर्माण सामग्री तक, हरित क्रान्ति में योगदान से लेकर पर्यावरणीय खतरों से निपटने तक अनेक क्षेत्रों में सीएसआईआर का योगदान रहा है । पूरे देश में सीएसआईआर की 38 प्रयोगशालाऍं हैं जिनमें 8300 वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारी निरंतर रूप से वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय अनुसंधान में व्यस्त हैं । सीएसआईआर ने भारत को वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय युग में प्रवेश कराया है ।p>

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान सम्बन्धी कार्यकलापों के अन्तर्गत सीएसआईआर के पास अपने विभिन्न शोधकार्यों के कई पेटेण्ट हैं जिनमें औषधियाँ ,अन्न प्रक्रिया प्रौद्योगिकी, औषधीय पौधे, पारंपरिक औषधि, रासायनिक अभियांत्रिकी, वैमानिकी आदि क्षेत्र शामिल हैं । इसने पारंपरिक ज्ञान का एक डिजिटल पुस्तकालय बनाया है जिसे विश्वबौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यू आईपीओ) के सभी सदस्य देशों ने स्वीकार किया है। सूचना के अभाव में गलत पेटेण्टों से बचने हेतु इसका निर्माण किया गया है । इसने इस प्रकार के फाइल किए गए कुछ पेटेण्टों पर दूसरों के द्वारा किए गए दावों को खारिज करके उन्हें पुन: सफलतापूर्वक उनसे वापस ले लिया है ।

1942 में अपनी स्थापना के बाद सीएसआईआर ने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान सम्बन्धी अपने कार्य, मार्गदर्शन एवं समन्वय की रूपरेखा बनायी और उद्योग जगत की वृद्धि के लिए अनुसंधान एवं विकास को प्रेरणा देने हेतु प्रयोगशालाओं की स्थापना की । तब से प्रगति करते हुए सीएसआईआर आज विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान उपक्रमों में से एक बन चुका है । यह अधिकांश भारतीय उद्योगों के लिए एक प्रमुख प्रौद्योगिकी का स्रोत भी है । इसके अलावा सीएसआईआर ने अनेक भारतीय समस्याओं के लिए समाधान प्रस्तुत किए हैं तथा भारत के विशेष रूप से सामाजिक एवं आर्थिक कायापलट में अपना योगदान दिया है।

सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लगभग सभी क्षेत्रों में मौलिक तथा अनुप्रयुक्त अनुसंधान किया जाता है। इसका उद्देश्य है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ऐसी स्वदेशी पद्धतियाँ तथा समाधान प्रस्तुत करना जो विदेशी प्रद्योगिकियों के साथ स्पर्धा कर सकें । इसके नए भविष्य निरूपण ने कार्पोरेट जगत में सीएसआईआर का कद ऊँचा किया है जिससे इसका रिलायंस, रैनबैक्सी , गोदरेज, सत्यम आदि जैसी भारत की कुछ बड़ी कम्पानियों के साथ सहयोग स्थापित हुआ है । उद्योगों के साथ सहयोग करने से सीएसआईआर को बहुत लाभ हुआ है और उसकी कुल आय में से 30 प्रतिशत आय उसे अनुबन्ध अनुसंधान एवं विकास तथा सेवाओं से प्राप्त हुई । इसके ग्राहकों में विश्व की प्रमुख एवं बहुराष्ट्रीय कम्पानियाँ भी शामिल हैं ।

गत वर्षों के दौरान अनुसंधान एवं विकास के इस अग्रणी संगठन ने 3000 से अधिक प्रौद्योगिकियॉं विकसित की हैं जिन्हें 6,000 से अधिक ग्राहक प्रयोग में लाते हैं । सीएसआईआर की प्रौद्योगिकियों पर आधारित वार्षिक औद्योगिक उत्पादन आज 1 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक का होने लगा है ।

सीएसआईआर की एक झलक

  • 60 वर्ष पुराना स्वायत्त निकाय
  • 21,000 कुशल स्टाफ
  • 38 प्रयोगशालाऍं, 47 क्षेत्रीय एवं विस्तारित काउन्टंर
  • 8300 वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीविद्
  • वार्षिक बजट : 25 करोड़ अमरीकी डॉलर
  • सीएसआईआर की लगभग 1000 प्रौद्योगिकियों को व्यापारिक स्तर पर प्रयोग में लाया गया है ।
  • इसकी प्रौद्योगिकियों पर आधारित औद्योगिक उत्पादन प्रति वर्ष 1 अरब अमरीकी डॉलर का होता है ।
  • सीएसआईआर द्वारा प्रति वर्ष 500 पेटेण्ट फाइल किए जाते हैं ।
  • 30 देशों के साथ सीएसआईआर के द्विपक्षीय वैज्ञानिक सहयोग स्थापित हैं ।
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