इतिहास और मील के पत्थर

1980-1989

  • एनसीएल ने उत्कृष्टता एवं श्रेष्ठाता को ध्यान में रखकर मौलिक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी दोनो की सन्तुलित वृद्धि/विकास पर बल दिया । एनसीएल के नेतृत्व ने उच्चतम गुणता के वैज्ञानिक अनुसंधान तथा विश्वस्तरीय प्रतियोगी प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया।
research group
  • एनसीएल ने पेट्रोरसायन एवं रसायनों को समर्पित प्रथम उत्प्रेरण अनुसंधान ग्रूप की स्थापना की । उत्प्रेरण, जो प्रगत पदार्थों की एक श्रेणी होती है, रसायन उद्योग हेतु बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है । एनसीएल ने पहली बार उत्प्रेरक विकास, उत्प्रेरक निर्माण एवं उत्प्रेरक प्रयोगकर्ताओं के बीच त्रिकोणीय सम्पर्क/सम्बन्ध, स्थापित किए ।
 
  • भारतीय पेट्रोरसायन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईपीसीएल) ने बड़ौदा में ज़ाइलीन समावयनीकरण हेतु आणविक चालनी पर आधारित आकृति वरणात्माक उत्प्रेरक का व्यापारिक स्तर पर प्रयोग शुरू किया । उस समय इस उत्प्रेरक पर संयुक्ति राज्य अमरीका की मोबिल कॉर्पोरेशन नामक कम्पनी का एकाधिकार था । इस घटना ने एनसीएल को विश्व के इस भाग में उत्प्रेरक अनुसंधान के प्रमुख केन्द्र के रूप में प्रस्थापित किया । एनसीएल/सीएसआईआर एवं आईपीसीएल ने संयुक्त रूप से मोबिल द्वारा दी गई बौद्धिक सम्पदा की चुनौती का सामना किया।
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  • एनसीएल ने एथिल बेन्ज़ीन जो स्टा‍इरीन का पूर्ववर्ती है, के उत्पादन हेतु एथानॉल के साथ बेन्ज़ीन के सीधे ऐल्किलीकरण के लिए एक अद्वितीय प्रक्रिया विकसित की । इस प्रक्रिया को हिन्दुस्तान पॉलिमर्स, विशाखापटनम में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग में लाया गया ।
  • एनसीएल ने ऊतक संवर्धन प्रक्रिया का शुभारम्भ किया । एनसीएल ने सुप्रतिष्ठित जैवरसायनज्ञ डॉ. जगन्नाथन, जिन्होंने इस दिशा में प्रयास शुरू किए, के नेतृत्व में एक ग्रूप स्थानपित किया। पौधों के पात्रे संवर्धन हेतु प्रथम प्रोटोकॉल एनसीएल में ही स्थापित किया गया । अनेक सूक्ष्म-प्रवर्धन प्रौद्योगिकियॉं जैसे- इलायची, नीलगिरी, बॉंस, सागौन, सैल्वेडोरा, गन्ना, केला, हल्दी् एवं अदरक आदि विकसित करके उद्योगों को हस्तान्तेरित की गई । इस प्रकार एनसीएल ने एक नए उद्योग को जन्म दिया। ऊतक संवर्धन उद्योग में आशातीत वृद्धि हुई और 1990 के अन्त तक यह पूर्ण रूप से विकसित हो गया ।
tissue culture     
tissue culture 1     
tissue culture 2
 
  • tussue culture 3एनसीएल ने बहुलक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी हेतु भारत में सबसे बड़े एकीकृत ग्रूप की स्थापना की । एनसीएल द्वारा बहुलक गलित प्रवाहिकी एवं गैर न्यूटनी तरल यांत्रिकी के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए उसकी प्रशंसा की गई । बहुलक अभिक्रिया अभियांत्रिकी में मौलिक विकास से पॉलिएस्ट र निर्माण करने वाले औद्योगिक रिएक्टतरों के व्यवहार के प्रतिरूपण एवं अनुमान पर नई समझ उत्पन्न हुई । इस तकनीक/प्रौद्योगिकी को भारत में कई उद्योगों में प्रयोग में लाया गया है ।
  • एनसीएल ने अपनी समुन्नत विश्लेषणात्मक सुविधाओं का पर्याप्त रूप से विस्तार किया । एसईएम, एक्स‍पीएस, एक्सआरडी, रामन स्पेक्ट्रो मीटर एवं घन तथा द्रव अवस्था एनएमआर जैसे उपकरणों से अत्याधुनिक उपकरण प्रयोगशाला (एसआईएल) को सुसज्जित किया गया।
 
analytical facility 1
analytical facility 2 
analytical facility 3
 
  • एनसीएल में बहुलक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी ग्रूप तथा जीवरसायान विज्ञान प्रभाग के लिए दो नयी इमारतों का निर्माण किया गया ।
  • डॉ. आर.ए. माशेलकर, एफआरएस, प्रमुख रासायनिक अभियांत्रिकी एवं प्रक्रिया विकास प्रभाग ने एनसीएल के छठवें निदेशक के रूप में कार्यभार सम्भाला(1989-95)
 
1989-95-1 
1989-95-2