जीवरसायन विज्ञान प्रभाग के अधीन तीन अनुसंधान क्षेत्र आते हैं । मौलिक सूक्ष्मजैविक शरीरविज्ञान एवं आणविक प्रक्रियाएँ समझने हेतु सूक्ष्मजैविक प्रौद्योगिकी ग्रूप की गतिविधियों में कवकी, एन्डोफाइट्स, एक्स्ट्रेमोफाइल्स एवं अनकल्चरेबल्स सहित सूक्ष्मजैविक विविधता का प्रयोग सम्मिलित हैं । इन प्रक्रियाओँ का प्रयोग मानव स्वास्थ्य, कृषि तथा उद्योगजगत में किया जाता है । पादप जीवरसायन एवं जैवप्रौद्योगिकी मुख्य रूप से पौधों में प्रतिबल सह्यता मेकैनिज्म एवं उपापचयी पाथवेज, जैवविविधता की जैवप्रॉस्पेक्टिंग तथा कृषि, स्वास्थ्य एवं ऊर्जा के क्षेत्र में अनुप्रयोग हेतु ओमिक्स पद्धति अपनाते हुए आनुवंशिक उपकरणों का विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हैं । मानव विकार एवं स्वास्थ्य ग्रूप विभिन्न पद्धतियों का प्रयोग करते हुए मानव स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण एवं विशिष्ट समस्याओं के जैवरासायनिक एवं आणविक समझ पर शोधकार्य करता है । नैनोप्रौद्योगिकी ग्रूप मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में नैनोपदार्थों के अनुप्रयोग हेतु उनके सूक्ष्मजैविक एवं पादप आधारित जैवसंश्लेषण का कार्य करता है । उक्त अनुसंधानकार्य में संरचनात्मक जीवविज्ञान, मास स्पेक्ट्रोमेट्री एवं आणविक जीवविज्ञान से सम्बद्ध सुविधाओं की सहायता प्रदान की जाती है ।